मुंह के कैंसर की ए से जेड तक जानकारी यहां मिलेगी

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क्‍या है मुंह का कैंसर

मुख कैंसर, मुंह के कैंसर का एक प्रकार है, जिसमें कैंसरयुक्त कोशिकाएं मुख (मौखिक) गुहा में विकसित हो जाती हैं। मुख (मौखिक) या मुंह के कैंसर में सबसे अधिक मामले जीभ के देखने को मिलते हैं। वैसे मुंह का कैंसर मुंह के ऊपरी हिस्से (ठोस तालू), गालों के अस्तर (अन्दर का हिस्सा), जिन्जाइवल (मसूड़ों), होठों या तालु (मुंह के ऊपरी हिस्से) पर भी हो सकता है। अधिकांश मुख कैंसर माइक्रोस्कोप के नीचे बेहद समान दिखते हैं तथा उन्हें स्क्वाकमस सेल कार्सिनोमा कहा जाता है। ये मुख के कैंसर का सबसे सामान्य प्रकार है। स्क्वाकमस सेल शरीर के चारों ओर कई जगहों पर पाए जाते हैं, जिसमें मुंह का भीतरी और त्वचा का निचला हिस्सा शामिल है।

मुख कैंसर के कम सामान्य प्रकारों में निम्नलिखित शामिल हैं:

ओरल (मुख) मेलिग्नेंट मेलेनोमा- इसमें कैंसर मिलैनोमासाइट्स कही जाने वाली कोशिकाओं में शुरू होता है, जो कि त्वचा को रंग देने में मदद करती है।

एडेनोकार्सिनोमा– वो कैंसर जो लार ग्रंथियों के अंदर विकसित होता है।

 

लक्षण

लक्षणों में निम्नलिखित शामिल हैं:

मुंह या जीभ की परत पर लाल या लाल और सफेद धब्बे।

मुंह के अंदर एक या एक से अधिक अल्सर, जो कि तीन सप्ताह के बाद भी ठीक नहीं होते है।

तीन हफ्तों से अधिक समय तक मुंह में सूजन हो सकती है। 

दर्द, निगलने में कठिनाई (डिस्फागिया)।

गर्दन में लगातार दर्द।

कर्कश आवाज़।

बिना कारण वजन का कम होना।

स्वाद महसूस करने में असामान्य परिवर्तन।

कान में दर्द।

गर्दन की लसीका ग्रंथियों (लिम्फ नोड्स) में सूजन।

 

कारण

डीएनए म्यूटेशन के परिणामस्वरूप ओंकोजीन (एक जीन, जो कि सामान्य कोशिकाओं को कैंसर की ट्यूमर कोशिकाओं में बदल देता है। कैंसर का कारण है) सक्रिय हो जाते हैं।

विभिन्न ज़ोखिम के कारक हैं: धूम्रपान और अल्कोहल।

मुंह कैंसर के दो प्रमुख कारण सिगरेट पीना (धूम्रपान) (या अन्य तंबाकू उत्पाद, जैसे कि पाइप या सिगार पीना) और अत्यधिक अल्कोहल का सेवन है। ये दोनों पदार्थ कैंसरकारी (कासीनजन) है, जिसका मतलब है कि इनमें रसायन होता है, जो कि सेल में डीएनए को नष्ट करता है और कैंसर उत्पन्न करता है। मुंह कैंसर का ज़ोखिम किसी ऐसे व्यक्ति में अत्यधिक बढ़ जाता है, जो कि अधिक धूम्रपान करता है तथा बहुत ज़्यादा अल्कोहल का सेवन करता है। दोनों स्थितियों में ज़ोखिम बढ़ जाता है।   

सुपारी

‘सुपारी’ सुपारी के पेड़ से प्राप्त हल्का व्यसनकारी बीज होता है तथा श्रीलंका और भारत जैसे कई दक्षिणपूर्व एशियाई समुदायों के लोगों के बीच व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।     

उसमें कॉफी जैसा उत्तेजक (शक्तिवर्धक) प्रभाव होता है। सुपारी में कार्सिनोजेनिक प्रभाव भी होता है, जो कि मुंह के कैंसर के ज़ोखिम को बढ़ा सकता है। जब लोग सुपारी के साथ-साथ तंबाकू चबाते है, तब यह ज़ोखिम और अधिक बढ़ जाता है। 

सुपारी खाने की परंपरा के कारण व्यापक पैमाने पर सामान्य जनसंख्या की तुलना में भारतीय प्रजातीय और श्रीलंकाई समुदायों में मुंह के कैंसर की दर बहुत ज़्यादा है।

धुंआ रहित तंबाकू

धुआं-रहित तंबाकू सामान्य शब्द है, जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार के उत्पादों के लिए किया जाता है, जैसे कि:

तंबाकू चबाना।

सूंघना (नसवार)- तंबाकू का पाउडर, जिसे सुंघा जाता है।

सुंघनी– सुंघनी तंबाकू का एक प्रकार है, जो कि स्वीडन में प्रसिद्ध है, जिसे ऊपरी होंठ के नीचे रखा जाता है, जहां से यह धीरे-धीरे आपके रक्त में अवशोषित हो जाता है।

कैनबिस (भांग) 

कैनबिस पीना मुख कैंसर के ज़ोखिम को बढ़ाने से जुड़ा है। कैनबिस पीने वालों को तंबाकू पीने वालों की तुलना में कैंसर से पीड़ित होने का ज़ोखिम अधिक होता है, क्योंकि कैनबिस के धुएं में तंबाकू के धुएं की तुलना में टार का स्तर काफी अधिक होता है तथा टार कैंसरकारी (कैंसरजनक) होता है।

 

ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी)

मानव पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) एक वायरस के परिवार का नाम है, जो कि त्वचा और नम झिल्ली को प्रभावित करता हैं। यह आपके शरीर के गर्भाशय ग्रीवा, गुदा, मुंह और गले में दिखाई दे सकता है। कुछ प्रकार के एचपीवी संक्रमण के कारण कोशिकाओं में असामान्य बदलाव और कोशिकाओं में वृद्धि हो सकती हैं, जो कि कैंसर को उत्पन्न कर सकते हैं।

 

खराब मुख स्वच्छता

इस बात का प्रमाण है, कि खराब मुख स्वच्छता जैसे कि दंत क्षय, मसूड़ों के रोग, नियमित रूप से दांत ब्रश से साफ़ न करना और खराब-कृत्रिम दांत (नकली दांत) लगवाने से मुख कैंसर का ज़ोखिम बढ़ सकता है।

 

जांच

बायोप्सी

कैंसर कोशिकाओं की उपस्थिति का पता लगाने के लिए प्रभावित कोशिकाओं के एक छोटे से नमूने को निकालने की आवश्यक हो सकती है। इस प्रक्रिया को बायोप्सी के नाम से जाना जाता है।

 पंच बायोप्सी

यदि कोशिकाओं का संदिग्ध प्रभावित हिस्सा जैसे कि जीभ या मुंह के अंदर का भाग आसानी से उपलब्ध है, तो पंच बायोप्सी का उपयोग किया जाता है। उस हिस्से को सबसे पहले इंजेक्शन के माध्यम से बेहोशी की दवा (अनेस्थेसिया) से सुन्न किया जाता है। चिकित्सक प्रभावित कोशिकाओं के एक छोटे से हिस्से को काट देगा और इसे चिमटी से निकाल लेगा। यह प्रक्रिया दर्दनाक नहीं है, लेकिन थोड़ी सी असुविधा महसूस हो सकती है।

फाइन नीडल एस्पिरेशन बायोप्सी (एफएनए)

फाइन नीडल एस्पिरेशन बायोप्सी (एफएनए) बायोप्सी का एक प्रकार है। यदि गर्दन में सूजन का संदेह है, जिसके परिणामस्वरुप कैंसर हो सकता है, तो इस बायोप्सी का उपयोग किया जाता है।

पैन एंडोस्कोपी

पैने एंडोस्कोपी एक तकनीक है। जब संदिग्ध ऊतक गले के पीछे या नाक के छिद्रों के अंदर होता है, तब इस तकनीक का उपयोग बायोप्सी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

परीक्षण, जिसमें निम्नलिखित का उपयोग शामिल हैं:

एक्स-रे।

एमआरआई स्कैन।

कम्प्यूटरीकृत टोमोग्राफी (सीटी) स्कैन।

पॉज़िट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी (पीईटी) स्कैन।

पीईटी स्कैन में रेडियोधर्मी अनुरेखक (ट्रेसर) आइसोटोप को शरीर में इंजेक्शन के माध्यम से डाला जाता है, जिसे एक विशेष कैमरे पर देखा जा सकता है।

 

प्रबंधन

सर्जरी

मुख कैंसर के लिए शल्य चिकित्सा का उद्देश्य मुंह की क्षति को कम करते हुए किसी भी प्रभावित ऊतक को निकालना है।

फोटोग्राडैमिक थेरेपी (पीडीटी)

यदि कैंसर शुरुआती चरण में है, तो एक प्रकार की लेजर शल्यचिकित्सा का उपयोग करके किसी ट्यूमर को निकालना संभव हो सकता है, जिसे फोटोग्राडैमिक थेरेपी (पीडीटी) कहा जाता है। पीडीटी में दवा लेना शामिल है, जो कि आपके ऊतक को प्रकाश के प्रभावों के प्रति संवेदनशील बनाती है। लेजर का उपयोग ट्यूमर को निकालने के लिए किया जाता है।

रेडिएशन थेरेपी

इसमें कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए विकिरण का उपयोग किया जाता है। केवल रेडिएशन थेरेपी का उपयोग करके कैंसर को ख़त्म करना संभव हो सकता है, लेकिन आमतौर पर कैंसर को दोबारा होने से रोकने के लिए सर्जरी के बाद इसका उपयोग किया जाता है।

कीमोथेरपी

जब कैंसर अत्यधिक फ़ैल जाता है या यदि यह माना जाता है कि कैंसर के दोबारा होने का ज़ोखिम अधिक है तब इसका उपयोग प्राय: रेडिएशन के संयोजन के साथ किया जाता है।

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